भस्त्रिका प्राणायाम

10:37


सुखासन सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। नाक से लंबी साँस फेफडो मे ही भरे, फिर लंबी साँस फेफडो से ही छोडें| साँस लेते और छोडते समय एकसा दबाव बना रहे। हमें हमारी गलतीयाँ सुधारनी है, एक तो हम पुरी साँस नही लेते; और दुसरा हमारी साँस पेट में चाली जाती है। देखिये हमारे शरीर में दो रास्ते है, एक (नाक, श्वसन नलिका, फेफडे) और दूसरा (मुँह्, अन्ननलिका, पेट्)| जैसे फेफडोमें हवा शुद्ध करने की प्रणली है, वैसे पेट में नही है। उसीके का‍रण हमारे शरीर में आँक्सीजन की कमी मेहसूस होती है। और उसेके कारण हमारे शरीर में रोग जडते है। उसी गलती को हमें सुधारना है। जैसे की कुछ पाने की खुशि होति है, वैसे हि खुशि हमे प्राणायाम करते समय होनि चाहिये। और क्यो न हो सारि जिन्दगि का स्वास्थ आपको मील रहा है। आप के पन्चविध प्राण सशक्त हो रहे है, हमारे शरीर की सभि प्रणालिया सशक्त हो रही है।


लाभ -


  • हमारा हृदय सशक्त बनाने के लिये है।
  • हमारे फेफडों को सशक्त बनाने के लिये है।
  • मस्तिष्क से सम्बंधित सभी व्याधिओं को मिटाने के लिये भी यह लाभदायक है।
  • पार्किनसन, पैरालिसिस, लूलापन इत्यादि स्नायुओं से सम्बंधित सभी व्यधिओं को मिटाने के लिये।
  • भगवान से नाता जोडने के लिये।

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