अनुलोम-विलोम प्राणायाम

10:40


सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। शुरुवात और अन्त भी हमेशा बाये नथुने से ही करनी है, नाक का दाँया नथुना बंद करें व बाये से लंबी साँस लें, फिर बाये को बंद करके, दाँया वाले से लंबी साँस छोडें...अब दाँये से लंबी साँस लें और बाये वाले से छोडें...यानि यह दाँया-दाँया बाँया-बाँया यह क्रम रखना, यह प्रक्रिया १०-१५ मिनट तक दुहराएं| साँस लेते समय अपना ध्यान दोंनों आँखो के बीच मे स्थित आज्ञा चक्र पर ध्यान एकत्रित करना चाहिए। और मन ही मन मे साँस लेते समय ॐ ॐ  का जाप करते रहना चाहिए।  बायी नाड़ी को चन्द्र नाडी, और बायी नाडी को सुर्य नाड़ी कहते है। चन्द्र नाडी से ठण्डी हवा अन्दर जती है और सूर्य नाड़ी से गरम नाड़ी हवा अन्दर जाती है। ठण्डी और गरम हवा के उपयोग से हमारे शरीर का तापमान संतुलित रेहता है। इससे हमारी रोग-प्रतिकारक शक्ति बढ़ जाती है।


लाभ -


  • हमारे शरीर की ७२,७२,१०,२१० सुक्ष्मादी सूक्ष्म नाड़ी शुद्ध हो जाती है।
  • हार्ट की ब्लाँकेज खुल जाते है।
  • हाई, लो दोंनों रक्त चाप ठीक हो जायेंगे|
  • आर्थराटिस, रोमेटोर आर्थराटिस, कार्टीलेज घिसना जैसी बीमारियाँ ठीक हो जाती है।
  • टेढे लिगामेंटस सीधे हो जायेंगे|
  • वैरीकोस वैन्स ठीक हो जाती है।
  • कोलेस्टाँल, टाँक्सीन्स, आँस्कीडैन्टस इसके जैसे विजतीय पदार्थ शरीर के बहार नीकल जाते है।
  • सायकीक पेंशेन्ट्स को फायदा होता है।
  • किडनी नैचुरली स्वच्छ होती है, डायलेसिस करने की जरुरत नही पड़ती|
  • सबसे बड़ा खतरनाक कैन्सर तक ठीक हो जाता है।
  • सभी प्रकार की ऐलर्जीयाँ मिट जाती है।
  • मेमरी बढाने की लिये।
  • सर्दी, खाँसी, नाक, गला ठीक हो जाता है।
  • ब्रेन ट्यूमर भी ठीक हो जाता है।
  • सभी प्रकार के चर्म समस्या मिट जाती है।
  • मस्तिषक के सम्बधित सभी व्याधिओं को मिटाने के लिये।
  • पार्किनसन्स, पैरालेसिस, लूलापन इत्यादि स्नायुओ से सम्बधित सभी व्याधिओं को मिटाने के लिये।
  • सायनस की व्याधि मिट जाती है।
  • डायबीटीस पूरी तरह मिट जाती है।
  • टाँन्सिल्स की व्याधि मिट जाती है।

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