बाह्य प्राणायाम

10:39


सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। साँस को पूरी तरह बाहर निकालने के बाद साँस बाहर ही रोके रखने के बाद तीन बन्ध लगाते है।


 जालंधर बन्ध -

  • गले को पूरा सिकोड कर ठोडी को छाती से सटा कर रखना है।



 उड़ड्यान बन्ध 


  • पेट को पूरी तरह अन्दर पीठ की तरफ खीचना है।



मूल बन्ध :-

 हमारी मल विसर्जन करने की जगह को पूरी तरह ऊपर की तरफ खींचना है।


लाभ -


  • कब्ज, ऐसिडिटी, गँसस्टीक, जैसी पेट की सभी समस्याएें मिट जाती हैं।
  • हर्निया पूरी तरह ठीक हो जाता है।
  • मन की एकाग्रता बढ़ती है।
  • व्यंधत्व  से छुटकारा मिलने में भी सहायक है।

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