अम्बे माँ की आरती

03:30




जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी।

निशिदिन तुमको ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी॥ जय अम्बे


माँग सिन्दूर विराजत, टीको, मृगमद को। 

उज्जवल से दोउ नयना, चन्द्रबदन नीको॥ जय अम्बे


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजे। 

रक्त पुष्प गलमाला, कंठ हार साजे॥ जय अम्बे


हरि वाहन राजत खड्ग खप्पर धारी।

सुर नर मुनिजन सेवत, तिनके दु:ख हारी॥ जय अम्बे


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सम जोती॥ जय अम्बे


शुम्भ-निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती। 

धूम्र-विलोचन नयना, निशदिन मदमाती॥ जय अम्बे


चण्ड-मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे। 

मधु-कैटभ दोऊ मारे, सुर भय दूर करे॥ जय अम्बे


ब्रह्माणी रुद्राणी, तुम कमला रानी।

 आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥ जय अम्बे


चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरों।

 बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरु॥ जय अम्बे


तुम हो जग की माता, तुम ही हो भरता। 

भक्तन की दुख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥ जय अम्बे


भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी। 

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥ जय अम्बे


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। 

मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥ जय अम्बे

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