विटामिन D |Vitamin D
00:30विटामिन डी वसा-घुलनशील प्रो-हार्मोन का एक समूह होता है। त्वचा जब धूप के संपर्क में आती है तो शरीर में विटामिन डी निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होती है। यह मछलियों में भी पाया जाता है। विटामिन डी की मदद से कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में मदद मिलती है जो हड्डियों की मजबूती के लिए अत्यावश्यक होता है। इसके अभाव में हड्डी कमजोर होती हैं व टूट भी सकती हैं।विटामिन डी की अधिकता से शरीर के विभिन्न अंगों, जैसे गुर्दों में, हृदय में, रक्त रक्त वाहिकाओं में और अन्य स्थानों पर, एक प्रकार की पथरी उत्पन्न हो सकती है। ये विटामिन कैल्शियम का बना होता है, अतः इसके द्वारा पथरी भी बन सकती है। इससे रक्तचाप बढ सकता है, रक्त में कोलेस्टेरॉल बढ़ सकता है और हृदय पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही चक्कर आना, कमजोरी लगना और सिरदर्द, आदि भी हो सकता है। पेट खराब होने से दस्त भी हो सकता है।
लक्षण -
१ - कमजोर इम्युन सिस्टम- विटामिन डी जीन फंक्शन्स और प्रक्रियाओं को सामान्य रूप में नियंत्रित करता है, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है।
२- हड्डी और मांसपेशियां कमजोर
- हड्डियों में दर्द व कमजोरी के साथ ही मांसपेशियों में लगातार दर्द महसूस हो रहा है तो ऐसा विटामिन डी की कमी का कारण हो सकता है। विटामिन डी हड्डियों दांतों और मांसपेशियों के लिए भी बहुत जरूरी पोषक तत्व है।
३ - तनाव
- जिन लोगों के शरीर विटामिन डी की कमी होती है वो हमेशा उदास और तनावग्रस्त रहते है। विटामिन डी हमारे मूड और तनाव पर काफी जरूरी भूमिका निभाता है। विटामिन डी डिप्रेशन से दूर निकालने में मदद करता है।
४ - अधिक पसीना आना
- शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर अधिक पसीना आता है। यह पसीना सिर पर अत्यधिक आता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टरी सलाह जरूर लें। बच्चों के हाथो पर अगर ज्यादा पसीना आता है तो हो सकता है कि उनमें विटामिन डी की कमी हो। इसको अनदेखा न करें।
5. चिकित्सक क्षमता में देरी
- बार-बार इंफैक्शन होना भी विटामिन डी की कमी का ही संकेत है। दरअसल, हमारे इम्युन सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली किसी भी घाव के संक्रमण से लड़ने का काम करती है। जब शरीर में विटामिन डी की कमी होती है, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली समझौता कर लेती है, जिससे आपका शरीर हानिकारक बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकता है।
कारण -
- आहार में विटामिन डी-युक्त खाद्य पदार्थ शामिल न करना।
- अगर आप 50 से अधिक उम्र के है।
- यदि आप धूप से बहुत अधिक बचते हैं।
- अपना ज्यादा से ज्यादा समय घर में बिताना।
- वजन बहुत ज्यादा होना। यदि आपकी त्वचा का रंग बहुत गहरा है।
उपचार -
- शरीर में विटामिन D का स्तर बढ़ाने के लिए, गर्मी के मौसम में, एक दिन में १५-२० मिनट तक, सूर्य के सामने, बगैर सनस्क्रीन लगाये, खड़े रहें।
- यदि आप कम सूर्य प्रकाश वाले क्षेत्र में रहते हैं तो विटामिन D३ का पूरक आहार लें।
- ४० वर्ष से अधिक आयु की महिलाएँ यदि विटामिन D की कमी से ग्रस्त हैं, तो उनमें ओस्टियोपोरोसिस होने की संभावना ज्यादा होती है। कमी की स्थिति में उन्हें विटामिन D के पूरक आहार लेने चाहिए।
स्र्तोत -
अंडे का पीला भाग, मछली के तेल, टमाटर , हरी सब्जियां , पनीर , शलगम , निम्बू , मूली , पत्ता गोबी , विटामिन डी युक्त दूध और मक्खन । इनके अलावा मुख्य स्रोत धूप सेंकना होता है।
विटामिन D युक्त रेसिपी -
- पनीर भिंडी मसाला
- पनीर बटर मसाला
- वेज बहार
- कढ़ाई मशरूम
- नवरतन कोरमा मसाला
- कच्चे टमाटर की सब्जी
- मशरूम मसाला
- हरियाली पनीर कोफ्ता करी
- पनीर दो प्याजा
- पनीर टिक्का मसाला 1
- पनीर टिक्का मसाला २
- पनीर दम आलू
- पनीर भुर्जी
- पनीर लच्छेदार
- पनीर भुना मसाला
- चीज़ पनीर बटर मसाला
- कढ़ाई पनीर
- खीरे का रायता
- दही का रायता
- मिंट बूंदी रायता
- छत्तीसगढ़ी धनिया टमाटर की चटनी
- मुली का रायता
- लौकी का रायता - lauki ka raita
- कच्चे आम की चटनी
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