सावन की रुत हैं आ जा माँ
14:36सावन की रुत हैं आ जा माँ
सावन की रुत हैं आ जा माँ,
हम झूला तुझे झूलायगें
फूलों से सजायेंगे तूझको,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे....
सावन की रुत हैं आ जा माँ……
कोई भेंट करेगा चुनरी,
कोई पहनायेगा चूडी,
माथे पे लगायेगा माँ,
कोई भक्त तिलक सिंदूरी,
कोई लिये खडा है पायल,
लाया है कोई कंगना,
जिन राहों से आयेंगी
माँ तू भक्तों के अंगना,
हम पलके वहाँ बिछायेंगे ...
सावन की रुत हैं आ जा माँ……
माँ अंबुवा की डाली पे झूला
भक्तों ने सजाया,
चंदन की बिछाई चौकी,
श्रद्धा से तूझे बुलाया,
अब छोड ये आखँ मिचौली,
आ जा ओ मैया भोली,
हम तरस रहे है
कब से सुनने को तेरी बोली,
कब तेरा दर्शन पायेंगे ....
सावन की रुत हैं आ जा माँ……
लाखों है रुप माँ तेरे
चाहे जिस रुप में आ जा,
नैनों की प्यास बुझा जा
बस एक झलक दिखला जा,
झूले पे तुझे बिठा के
तूझे दिल का हाल सुनाके,
फिर मेवे और मिश्री का तुझे
प्रेम से भोग लगाके
तेरे भवन पे छोड के आयेगे ......
सावन की रुत हैं आ जा
सावन की रुत हैं आ जा माँ,
हम झूला तूझे झूलायगें हैं
फूलों से सजायेंगे तुझको,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे....
सावन की रुत हैं आ जा
0 comments